7 अप्रैल 2025 की सुबह भारतीय शेयर बाजार के लिए बेहद नाटकीय रही। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में भारी गिरावट देखने को मिली, जिसने निवेशकों के बीच घबराहट की लहर दौड़ा दी। सेंसेक्स करीब 3.34% टूटकर 72,845 पर आ गया, जबकि निफ्टी 3.61% की गिरावट के साथ 22,076 के आसपास पहुंच गया। दिन के दौरान स्थिति और बिगड़ती चली गई, जब सेंसेक्स 3,900 अंकों यानी लगभग 5% तक लुढ़क गया और निफ्टी 5% की गिरावट के साथ 21,743 के स्तर पर आ गया। यह निफ्टी का पिछले 10 महीनों का सबसे निचला स्तर है। इस भारी गिरावट की वजह से बाजार पूंजीकरण में लगभग ₹17 लाख करोड़ का नुकसान हुआ।
क्या हुआ बाजार में?
सुबह के कारोबारी सत्र में बाजार में तेज बिकवाली देखी गई। सेंसेक्स में 2,518 अंकों की गिरावट आई, जबकि निफ्टी 827.70 अंकों तक नीचे चला गया। जैसे-जैसे दिन चढ़ा, बिकवाली का दबाव और बढ़ता गया। कुल 2,474 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि सिर्फ 228 शेयरों में तेजी देखी गई। 102 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ। बाजार में चढ़ने और गिरने वाले शेयरों का अनुपात 1:3 रहा, यानी हर एक बढ़ते शेयर के मुकाबले तीन शेयरों में गिरावट आई। निफ्टी-50 के सभी शेयर लाल निशान में बंद हुए, जो बाजार की नाजुक स्थिति को दर्शाता है।
वैश्विक व्यापार युद्ध का डर
इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह वैश्विक स्तर पर बढ़ता तनाव रहा। चीन ने अमेरिका के खिलाफ जवाबी टैरिफ लगा दिए, जिससे एक बार फिर ट्रेड वॉर यानी वैश्विक व्यापार युद्ध का खतरा बढ़ गया। निवेशकों को डर है कि इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा, जिसका सीधा प्रभाव भारतीय बाजार पर भी दिखाई दे रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अनिश्चितता और कमजोर संकेतों ने भारतीय निवेशकों की चिंता को और बढ़ा दिया।
कौन से सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित?
इस गिरावट का असर सभी प्रमुख सेक्टरों पर पड़ा, लेकिन कुछ सेक्टरों में खास तौर पर भारी नुकसान देखा गया:
- निफ्टी मेटल: सबसे ज्यादा प्रभावित सेक्टर, जिसमें 6% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई। वैश्विक व्यापार युद्ध के डर से मेटल की मांग और कीमतों पर असर पड़ने की आशंका बढ़ गई।
- आईटी और ऑटो: दोनों सेक्टरों में 4-5% तक की गिरावट आई। आईटी कंपनियों पर अमेरिकी बाजारों पर निर्भरता और ऑटो सेक्टर पर सप्लाई चेन में रुकावट का खतरा मंडराने लगा।
- मिडकैप और स्मॉलकैप: इन स्टॉक्स में भी 3% से ज्यादा की गिरावट देखी गई, जो दर्शाता है कि बाजार में बिकवाली का दबाव हर स्तर पर था।
निवेशकों में घबराहट क्यों?
यह गिरावट इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि यह अचानक और तेज थी। बाजार में बिकवाली का माहौल इतना प्रबल था कि निवेशकों के पास संभलने का मौका ही नहीं मिला। वैश्विक अनिश्चितता, खास तौर पर अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते तनाव ने बाजार की धारणा को कमजोर कर दिया। इसके अलावा, मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स में गिरावट ने छोटे निवेशकों को भी प्रभावित किया, जो आमतौर पर इन सेगमेंट में ज्यादा सक्रिय होते हैं।
आगे क्या?
बाजार के जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में स्थिति और साफ होगी। अगर वैश्विक स्तर पर तनाव कम होता है, तो बाजार में कुछ रिकवरी की उम्मीद की जा सकती है। हालांकि, ट्रेड वॉर का खतरा बढ़ने की स्थिति में बाजार में और अस्थिरता देखने को मिल सकती है। निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे घबराहट में फैसले लेने से बचें और लंबी अवधि के नजरिए से निवेश पर ध्यान दें।
7 अप्रैल 2025 का यह दिन भारतीय शेयर बाजार के लिए एक काला दिन साबित हुआ, जिसने निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत को एक बार फिर रेखांकित किया।
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