मधुबनी के सदर अस्पताल में स्थापित ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट का मॉक ड्रिल पूरी तरह असफल रहा। प्लांट की मशीनें पिछले दो महीनों से खराब पड़ी हैं, जिससे अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई ठप है।
मॉक ड्रिल का उद्देश्य और नाकामी
राज्य स्वास्थ्य समिति ने सभी जिलों के स्वास्थ्य संस्थानों में ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट की क्रियाशीलता परखने के लिए शनिवार को मॉक ड्रिल का आयोजन किया था। इसका उद्देश्य आपातकालीन स्थिति में ऑक्सीजन सप्लाई की निर्बाध व्यवस्था सुनिश्चित करना था। लेकिन मधुबनी सदर अस्पताल का प्लांट पहले से ही खराब होने के कारण यह मॉक ड्रिल महज खानापूर्ति बनकर रह गई।
मॉक ड्रिल का समय और स्थिति
सुबह 9 बजे से 6 घंटे तक चलने वाली मॉक ड्रिल में प्लांट की पाइपलाइन और अन्य उपकरणों की जांच की गई। हालांकि, प्लांट की मुख्य मशीनें, जैसे एयर कंप्रेसर और एयर ड्रायर, खराब होने के कारण यह प्रक्रिया सफल नहीं हो पाई। टेक्निशियन बबलू कुमार सिंह ने प्लांट और उससे जुड़े सभी उपकरणों की बारीकी से जांच की, लेकिन कोई भी वरिष्ठ अधिकारी या संबंधित पदाधिकारी मौके पर उपस्थित नहीं थे।
प्लांट बंद होने का असर
ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट के बंद होने के कारण अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई पूरी तरह बाधित है। स्वास्थ्य कर्मियों के अनुसार, मशीनें लंबे समय से खराब पड़ी हैं, लेकिन उनकी मरम्मत के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस कारण आपातकालीन स्थिति में मरीजों को जरूरी ऑक्सीजन उपलब्ध कराना चुनौती बन सकता है।
प्रशासनिक निर्देश और लापरवाही
राज्य स्वास्थ्य समिति के प्रशासी पदाधिकारी सह प्रोक्योरमेंट प्रभारी राजेश कुमार ने सिविल सर्जन को प्लांट की जांच का निर्देश दिया था। बावजूद इसके, मॉक ड्रिल के दौरान लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता साफ नजर आई।
स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल
ऑक्सीजन प्लांट जैसे महत्वपूर्ण उपकरण के महीनों से खराब होने की स्थिति न केवल अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आपात स्थिति में मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है। अब सवाल यह है कि इस गंभीर समस्या को जल्द से जल्द कैसे सुलझाया जाएगा।
मांग और अपेक्षाएं
अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से अपेक्षा की जा रही है कि ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट की मरम्मत तुरंत कराई जाए। इसके अलावा, भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचने के लिए नियमित निरीक्षण और रखरखाव पर भी जोर दिया जाए।
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