मकर संक्रांति का पर्व नजदीक आते ही मधुबनी की फिजां में तिल और गुड़ की सौंधी महक छा गई है। बाजारों में रौनक बढ़ गई है, और लोग उत्साह से तिलकुट खरीदने पहुंच रहे हैं। ठंड के मौसम में तिल और गुड़ से बने तिलकुट का स्वाद हर किसी को लुभा रहा है।
तिलकुट की बढ़ी डिमांड
जिला मुख्यालय के बाजारों में तिलकुट की बिक्री जोरों पर है। खोआ, रबड़ी, गुड़ और तिल से बने विभिन्न प्रकार के तिलकुट ग्राहकों को खूब भा रहे हैं। हालांकि, इस साल तिल और गुड़ की कीमतें बढ़ने से तिलकुट के दामों में भी इजाफा हुआ है।
25 सालों की परंपरा
बाटा चौक स्थित वीरेंद्र तिलकुट भंडार के श्याम सुंदर साह ने बताया कि वे पिछले 25 वर्षों से यहां तिलकुट का स्टॉल लगाते आ रहे हैं। उन्होंने कहा, “मकर संक्रांति के आते ही तिलकुट की मांग बढ़ जाती है। हर साल लोग यहां से तिलकुट लेकर त्योहार की मिठास बढ़ाते हैं।”
पटना से मंगाया जाता है खास तिल
तिलकुट बनाने के लिए तिल और गुड़ पटना से मंगवाया जाता है, क्योंकि लोकल किसानों की आपूर्ति कम पड़ जाती है। दुकानदारों के अनुसार, तिल की कीमत में इस साल भारी वृद्धि हुई है। जहां पहले तिल 13 हजार रुपये प्रति क्विंटल था, वहीं अब इसकी कीमत 20 हजार रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।
तिलकुट की बढ़ती लोकप्रियता
मकर संक्रांति पर तिलकुट का विशेष महत्व है। बाटा चौक पर लगे स्टॉल से तिलकुट की सौंधी महक हर आने-जाने वाले को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। गया और पटना से आए कारीगर अपने हुनर से इस तिलकुट को खास बना रहे हैं।
मकर संक्रांति के साथ तिलकुट की मिठास
इस वर्ष तिलकुट के दामों में बढ़ोतरी जरूर हुई है, लेकिन इसकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई। तिल और गुड़ के मेल से बने इस व्यंजन ने मधुबनीवासियों के दिलों में अपनी खास जगह बना ली है।
तो आइए, इस मकर संक्रांति पर तिलकुट की मिठास से त्योहार को और खास बनाएं।
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